स्वामी राम विशाल दास महाराज ने की भू-कानून में पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्र के लिए अलग नियमों पर पुर्नविचार करने की मांग
हरिद्वार, 20 फरवरी। तीर्थ सेवा न्यास के अध्यक्ष स्वामी राम विशाल दास महाराज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नए भू-कानून में पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों के लिए भिन्न नियम लागू करने पर पुनर्विचार करने की मांग की है। पत्र में स्वामी रामविशाल दास महाराज ने कहा है कि नव प्रस्तावित भू-कानून में पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नियम बनाने का जो प्रस्ताव है, वह उत्तराखंड में क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने का कार्य करेगा। यह नीति राज्य की एकता एवं समान विकास के सिद्धांतों के विपरीत प्रतीत होती है। इससे सामाजिक एवं क्षेत्रीय विभाजन और पहाड़ एवं मैदानी क्षेत्रों में आपसी वैमनस्य बढ़ सकता है, जो राज्य की एकता के लिए ठीक नहीं है। निवेश एवं विकास में असमानता अलग-अलग नियमों के कारण निवेशकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी। जिससे विकास कार्य प्रभावित होंगे। एक क्षेत्र के लिए सख्त नियम एवं दूसरे के लिए शिथिल नियम होने से आर्थिक असंतुलन बढ़ेगा और लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह नीति समानता के संवैधानिक अधिकार के भी विपरीत है, जिससे कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। मुख्यमंत्री से सकारात्मक निर्णय लेने की आशा व्यक्त करते हुए स्वामी रामविशाल दास महाराज ने मांग की है कि एक समान एवं संतुलित भू-कानून बनाया जाए। जो पूरे राज्य के हित में हो, ताकि उत्तराखंड के सभी क्षेत्रों का समुचित विकास हो और सामाजिक सौहार्द बना रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *