पंतजलि ने किया जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन एवं आपदा औषधि विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
आपदा प्रबंधन में भारत का वैदिक दृष्टिकोण ही वैश्विक मार्गदर्शक बनेगा-स्वामी रामदेव
हरिद्वार, 12 अप्रैल। पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन एवं आपदा औषधि’ विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में स्पेन विश्वविद्यालय के प्रो.रूबेन, इटली से विश्व बैंक के आपदा औषधि समूह के अध्यक्ष प्रो.रोबेर्टो मुगावेरो, नॉर्वे विश्वविद्यालय के प्रो.बी.सितौला तथा नेपाल आपदा प्रबंधन केंद्र के वैज्ञानिक प्रो.बी.अधिकारी ने भाग लिया। इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘डिजास्टर मेडिसिन, मैनेजमेंट एंड क्लाइमेट चेंज’ को लेकर अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस ) की स्थापना एवं लोकार्पण भी किया गया। साथ ही, विश्वविद्यालय में पेटेंट सेल की भी स्थापना की गई।
कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि यह केंद्र भविष्य में वैश्विक स्तर पर आपदाओं व उनसे उत्पन्न त्रासदी से निपटने में सहायक सिद्ध होगा। पतंजलि ने हमेशा हर आपदा में मानवता और समाज सेवा की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाई है। पतंजलि हर आपदा में सबसे पहले सहायता पहुंचाने वालों में शामिल है। उन्होंने भारतीय व सनातन संस्कृति से आपदा प्रबंधन की शिक्षा लेने पर भी बल दिया। इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन और जनकल्याण के लिए एक व्यवस्थित पहल करेगा। आचार्य बालकृष्ण ने अपने संबोधन में सनातन संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन और जनकल्याण के क्षेत्र में भारत की प्राचीन परंपराएं सदैव मार्गदर्शक रही हैं। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय में स्थापित यह अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस) न केवल वैश्विक स्तर पर आपदा और त्रासदी से निपटने के लिए शोध और समाधान विकसित करेगा, बल्कि भारतीय सनातन संस्कृति के मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की दिशा में भी एक सशक्त पहल सिद्ध होगा। कार्यशाला के मुख्य अतिथि एवं उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकॉस्ट) के महानिदेशक डा.दुर्गेश पंत ने कहा कि आपदा प्रबंधन भारतीय संस्कृति के इकोसिस्टम में समाहित है। उन्होंने आधुनिक विज्ञान, तकनीक और सकारात्मक सोच के समन्वय से आपदाओं और उनसे उत्पन्न त्रासदी से प्रभावी ढंग से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आपदा के पश्चात उत्पन्न मानसिक और शारीरिक आघात (पोस्ट डिजास्टर ट्रॉमा) को कम करने में योग और आयुर्वेद का समन्वय एक महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हो सकता है। डा.पंत ने यह भी कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित अंतरराष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र आपदा औषधि और प्रबंधन के क्षेत्र में वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है। वर्ल्ड बैंक के भारत में प्रतिनिधि डा.आशुतोष मोहंती ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय दक्षिण एशिया का पहला संस्थान है। जहां डिज़ास्टर मेडिसिन के क्षेत्र में गंभीर और संगठित पहल की गई है। उन्होंने घोषणा की कि वर्ल्ड बैंक द्वारा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को आपदा प्रबंधन और डिज़ास्टर मेडिसिन के क्षेत्र में स्कॉलरशिप, फेलोशिप, पीएचडी अनुसंधान तथा स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम में भागीदारी का अवसर उपलब्ध कराया जाएगा।
कार्यशाला के मुख्य संयोजक एवं पतंजलि विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो.सत्येन्द्र मित्तल ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली आपदाओं और उनके निराकरण हेतु भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। प्रो.मित्तल ने बताया कि कार्यशाला का आयोजन डीआरए इंफ़्राकोन, मैकाफेरी, मेगा प्लास्ट, टेक फैब तथा यूकॉस्ट के सहयोग से किया गया। उत्तराखंड के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक समीर सिन्हा ने कहा कि आपदा प्रबंधन में जनसमुदाय की सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। जिससे आपदा से उत्पन्न त्रासदी को कम किया जा सके। उन्होंने सामुदायिक भागीदारी को आपदा प्रबंधन के लिए मूल आधार बताया। वहीं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) से दीपक कुमार पांडे ने भी आपदा प्रबंधन पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यवस्थित प्रशिक्षण, त्वरित प्रतिक्रिया और स्थानीय संसाधनों के समुचित उपयोग के माध्यम से किसी भी आपदा की तीव्रता को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। कार्यशाला में पंतजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका प्रो.डा. देवप्रिया, प्रति-कुलपति प्रो.मयंक कुमार अग्रवाल, कुलसचिव आलोक कुमार सिंह, कुलानुशासक आर्षदेव, डीन अकादमी एवं रिसर्च डा.ऋत्विक बिसारिया, डा.अनुराग वार्ष्णेय, डा.वेदप्रिया, डा.वी.के. शर्मा, प्रो.पी.के.सिंह, डा.अजय चौरसिया, डा.सूर्य प्रकाश, डा.राधिका नागरथ, डा.बी.डी. पाटनी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। मंच संचालन डा. निवेदिता शर्मा ने किया।

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