परम् संतोषी ब्राह्मण थे सुदामा-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री
हरिद्वार, 26 मार्च। श्री राधा रसिक बिहारी मंदिर रामनगर ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन की कथा श्रवण कराते हुए कथाव्यास पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने बताया कि संतोषी कभी दरिद्र नहीं होता। सुदामा परम संतोषी ब्राह्मण थे। हमेशा भगवान का धन्यवाद कहते थे। बाल्यकाल में संदीपनी मुनि के आश्रम में विद्या अध्ययन के दौरान कृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई। विद्या अध्ययन के बाद दोनों अपने अपने घर चले गए। कृष्ण द्वारिकापुरी के राजा द्वारिकाधीश बन गए। परंतु सुदामा पत्नी सुशीला और दो बच्चों के साथ झोंपड़ी में दयनीय स्थिति में जीवन बिता रहे थे। लेकिन भगवान से कभी कुछ नहीं मांगते थे। हमेशा भगवान श्रीकृष्ण की मित्रता को याद करते और उनकी भक्ति करते थे। एक बार पत्नी के कहने पर सुदामा एक पोटली में दस मुट्ठी चावल लेकर श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वारिकापुरी पहुंचे। द्वारिकापुरी में श्रीकृष्ण ने सुदामा का बहुत आदर सत्कार किया। श्रीकृष्ण जानते थे कि सुदामा उनसे कभी कुछ नहीं मांगेंगे। श्रीकृष्ण ने सुदामा के लाए चावलों में से एक मुट्ठी चावल अपने मुख में और डाला ऊपर के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए और दूसरी मुट्ठी में नीचे के सातों लोक सुदामा के नाम कर दिए। सुदामा जब द्वारिकापुरी से लौटकर अपने गांव पहुंचे तो झांेपड़ी की जगह महलों को देखकर आश्चर्य में पड़ गए। शास्त्री ने बताया भगवान अपने भक्तों को अपना सर्वस्व अर्पण कर देते हैं। भगवान की कृपा से उनके पास किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को मन में संतोष धारण कर निष्काम भाव से भगवान की भक्ति करनी चाहिए। इस अवसर पर मुख्य यजमान भागवत परिवार सचिव चिराग अरोड़ा, रिंकी राजपूत, प्रिया राजपूत, सोमी देवी, सुमित आहूजा, शालू आहूजा, दीपक आहूजा, प्रिया आहूजा, चंद्रेश आहूजा, पंडित अधीर कौशिक, डीके गुप्ता, नीरज शर्मा, सोनिया गुप्ता, विमल कुमार गुप्ता, रिंकी भट्ट, संध्या भट्ट, रिंकू शर्मा, हर्ष ब्रह्म, रीना जोशी, पंकज कुमार जोशी, गुंजन जोशी, काव्या जोशी, सीमा पाराशर, वीना धवन, वंदना अरोड़ा, दीपिका सचदेवा, मोनिका विश्नोई, सारिका जोशी, सोनम पाराशर, रोजी अरोड़ा, सोनिया गुप्ता, श्वेता तनेजा, अल्पना शर्मा, नीरू सचदेवा, पंडित हेमंत काला, पूनम, राजकुमार, धीरज शर्मा, दीप्ति भारद्वाज, मनोज भारद्वाज, रेनू अरोड़ा आदि श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।
2025-03-26